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सुख के गुब्बारे में

सुख के गुब्बारे में

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अपने को पूरी तरह से

थकाकर मत आओ,

अपने को कुछ

बचाकर लाओ,


बची रहे थोड़ी सी ऊर्जा

बचा रहे थोड़ा सा मन

बचे रहें हम दोनों

एक-दूसरे में थोड़े-थोड़े,


बचा रहे ढीठता का

चुटकी भर नमक

लज्जा के अंतहीन समुद्र में

बचा रहे ऋतुओं में

थोड़ा-सा वसंत,


आओ कि

तुम्हारे थोड़े-से समय में

अपना थोड़ा-सा समय

मिला दूँ,

आओ कि संग बैठकर

सुख के

एक बड़े-से गुब्बारे में

खूब ऊँचा उड़ जाएँ,


आओ कि

इस चाँदनी रात में

देर तक बातें करें

एक-दूजे से

चाँद -तारों की गवाही में ।



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