जिंदगी
जिंदगी
जिंदगी अलग अलग खेलों
की भांति होती जा रही है
हर कोई तेज़ी से दौड़ लगा कर
जीतने की फिराक में।
कभी कोई लूडो के
खेल की तरह
सांप बनकर अपनों को
ही डंक मार रहा है।
लुका छिपी की तरह
हर कोई छिप छिप कर
अपना अपना उल्लू
सीधा कर रहा।
सामने जो आ गए
तो सब राज़ खुल कर
रह जाएंगे।
अपने अपने स्वार्थ की
जिंदगी जीने की ख़ातिर
जाने क्या क्या खेल खेल रहे।
शतरंज के खेल की तरह
हो गयी है जिंदगी
जरा सी नजर हटी
तो खेल खत्म।