जिन्दगी
जिन्दगी
जरा नजरें तो मिला जिंदगी से
खुद पर कभी ना यकीं किया
गौरसे खुदको ना पहचान पाये,
फिर भी रह गये उलझन में हम
तारीफों कें आलम में फुलसे गये।
जरुरी नही शब्दों का अर्थ
ना जानना ना तो समझना,
फिर शब्दों ने हीे शुरु किया
हमारे पास आकर बैठना।
शब्द कहाँ है कहने को
शुभ दिन के अवसर पर,
कहो तो गुलमोहर दे दूँ
तुम्हारे जन्म दिवस पर।
फर्ज निभाना एक सेवा
एक बंदगी की मिसाल है,
जिसने ए जाना समझा
उसकी जिंदगी तरोताजा है।
मिल जाएगी कभी इंसानियत
हर तरफ शोर मचा देना,
कई अरसों से नही दिखी
दिखे तो हँसी में मत लेना।
यहाँ धरती से ना कोई प्यारा
सुहागने होती है ये हरी-भरी वादियँ,
अनेक जाती पंथ के है निवासी
प्रकृति ने श्रृंगार से चमन को चमकाया।
ख़्वाब भले टूटते रहे मगर
हौंसले फिर भी ज़िंदा हो,
हौसला अपना ऐसा रखो
मुश्किलें भी शर्मिंदा हों।
जरा नजरें तो मिला जिंदगी से
देखले जिंदगी का नजारा,
उसकी तारिफे है गजब की
अदायें दमकता हुआ सितारा।