प्यास
प्यास
तुम्हारे आंगन में
सुविधाओं का
अथाह सागर उमड़ रहा था पर किनारे पर खड़ी मैं
प्यासी ही रह गई |
तुम विस्मित थे
तुम्हें नहीं पता कि –
सुविधाओं के खारे सागर से
प्यास नहीं बुझती |
प्यास बुझाने के लिए तो
दिल की निर्झरणी से
बहती हुई प्रेम-धार की
एक बूंद ही काफी है |