मेरा इश्क़ मेरे दिल के टुकड़े
मेरा इश्क़ मेरे दिल के टुकड़े
मेरा इश्क़ मेरे दिल के टुकड़े, रोज़ हज़ार करता है,
मैं समेटता समेटता थक जाता हूं,
वो निकल कर तन्हाई से तनहा हर बार करता है,
मेरा इश्क़ मेरे दिल के टुकड़े, रोज़ हज़ार करता है,
मैं शोर कर करके तन्हाई भगाता हूं,
उतना मेरी महफ़िल में आकर शोर यार करता है,
मेरा इश्क़ मेरे दिल के टुकड़े, रोज़ हज़ार करता है,
मैं अपना अपनाकर फिर उसके पास जाता हूं,
वो मेरे ही खंज़र का वार मुझ पर यार करता है,
मेरा इश्क़ मेरे दिल के टुकड़े, रोज़ हज़ार करता है,
मैं मुस्कुराकर आंसू ही तो उसे दिखता हूं,
वो ज़िंदगी जीना सीखाकर मेरी मियाद तयार करता है,
तनहा शायर हूं