नया नजरिया
नया नजरिया
एक ख्वाब था जो जीने का सहारा था
कोई पराया हो कर भी हमारा था।
ना जरूरत से ज्यादा चाहत थी
वों जहा था वहीं पर हमें राहत थी।
सर आंखों पर हमने उसे बिठाया,
प्यार करना दिल को जिसने सिखाया।
दिन-ब-दिन हम आवारा हुए,
जब हमारे प्यार का वो सहारा हुए।
उन्हें आवारगी किसी और से आने लगी,
एक नया कहर जिंदगी में लाने लगी।
ख्वाब हकीकत में ना बदल पाया,
ख्वाबों वाला इस दिल से निकल गया।
हाथ पकड़ा था जिसका वह छूट गया,
लगा जैसे मानो मेरा खुदा रूठ गया।
अब अंधेरों में बस खुदा का साया है,
आज फिर उस बुरे ख्वाब ने जगाया है।
रोते हैं और उसे बहुत याद करते हैं,
ना मिले फिर वह यही फरियाद करते हैं।
वह ख्वाबों में आया हकीकत में गया,
सीखा हमने जिंदगी का नजरिया नया।
बुरा हो ख्वाब तो उसे जाने दो,
जिंदगी का नया नजरिया आने दो।