कुंडलियां (भारत -पाक संबंधों पर )
कुंडलियां (भारत -पाक संबंधों पर )
1.
कूकर कौआ लोमड़ी ,ये होते बदजात।
लठ्ठ से इनको मारिये ,तब ये सुनते बात।
तब ये सुनते बात,पाक है लोमड़ ऐसा।
छाती पर हो लात ,बिलखता कूकर जैसा।
कह सुशील कविराय ,मिटा दो पाक का हौआ।
घुस कर मारो आज ,भगा दो कूकर कौआ।
2.
सीमा पर सेना लड़े ,घर उजाड़ें गद्दार।
कश्मीर में केसर जहर,कैसे होय उद्धार।
कैसे होय उद्धार,जहर है घर में अंदर।
सैनिक सीमा पास,ये घर में मस्त कलंदर।
कह सुशील कविराय,जहर इनको दो धीमा।
मन में लगी है आग ,ख़त्म है सहन की सीमा।
3.
पाकी सेवा में लगे ,कुछ हैं वतन हराम।
भारत का खाएं पियें ,बनकर पाक गुलाम।
बनकर पाक गुलाम ,लाज नहीं इन्हे आवे।
रटे पाक का नाम ,भारत न इनको भावे।
कह सुशील कविराय,निकालो इनकी झाँकी।
कर दो काम तमाम,भगा दो ये ना पाकी।