जब भी तुझसे मिलता हूँ
जब भी तुझसे मिलता हूँ
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जब भी तुझसे मिलता हूँ!
बोलता मै कम,
तुझे देखता हूँ ज्यादा!
तुझसे प्यार करनें का
मन में करता इरादा!
देख तुझे मै खिलता हूँ
जब भी तुझसे मिलता हूँ !
आँखों में समाकर तुझे
मन ही मन करता प्यार !
पर.केहने से डरता हूँ,
कहीं कर ना दे इन्कार !
प्यार तुझसे करने का
है मिठा मेरा सपना !
ना जानें कब तुझे
लगेगा रे अपना !
याद तेरी आने से खिलता हूँ !
जब भी तुझसे मिलता हूँ !
—_– संतोष भोमे
10 /03/2017