“मन का विश्वास नहीं जाता”
“मन का विश्वास नहीं जाता”
तू चली गई है दूर मगर तेरा एहसास नहीं जाता
तू लौट के आऐगी मिलने मन का विश्वास नहीं जाता
गुज़रा हर पल जो साथ तेरे
जीवन की अमिट कहानी है
मैं तेरा हूँ तू मेरी है
बाक़ी सब तो बेमानी है
बस एक यही एहसास तेरा
साँसों के साथ धड़कता है
तेरे होने से मैं ज़िंदा हूँ
तेरे होने से ये कहानी है
प्यासे को जाना पड़ता है
दरिया तो पास नहीं जाता
तू लौट के आऐगी मिलने
मन का विश्वास नहीं जाता
तेरे साथ वो बागों में जाना
पेड़ों के पीछे बतियाना
तेरी जुल्फ़ों के साये में
मेरा भूल के सब कुछ खो जाना
माना ये बात पुरानी है
और आगे नया ज़माना है
कुछ कहते हैं मैं पागल हूँ
कुछ कहते हैं हूँ दीवाना
राधा रूठे चाहे जितना
कान्हा का रास नहीं जाता
तू लौट के आऐगी मिलने
मन का विश्वास नहीं जाता
आँखों का पानी ठहर गया
सिसकियाँ अभी तक आती हैं
तुम याद मुझे करती होगी
हिचकियाँ अभी तक आती हैं
मुरझाये फूलों पर तितली
क्या कभी बैठती देखा है
मैं अभी नहीं मुरझाया हूँ
तितलियाँ अभी तक आती हैं
तुम श्वास श्वास में बसी हुईं
मेरी धड़कन तुम पर निर्भर है
गर मेरी जान बचानी हैं
तो ये ही अंतिम अवसर है
तुम जिस क्षण याद नहीं आतीं
मुझको तो श्वास नहीं आता
तू लौट के आऐगी मिलने
मन का विश्वास नहीं जाता