प्रेम
प्रेम
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प्रेम प्रेम प्रेम
प्रेम में डूबा
अंतर सारा
कितना भी अँधेरा
ढूँढ़ ही लेता मन उजियारा
पर्वत सागर नदिया
रस्ते रस्ते चलते
इस पथ फूल
तो उस पथ
कांटे मिलते
वक्त भी बीते हैं जैसे
घास काटे घसियारा
प्रेम प्रेम प्रेम
मांगे है ये अंतर सारा
और खुशियों की खातिर
आदम उलटा ही भागे
मारा-मारा !!