एक साल बाद
एक साल बाद
पापा,
साल बीत गया है आपको गए।
मम्मी उदास रहती है
हँसती दिखती है, पर हँसती नहीं।
बच्चे याद करते हैं
बाबा को रोज जय करते हैं।
हम सब बस चुपचाप निकलते हैं,
उस कमरे से जहाँ आप रहते थे।
फ़ोटो देखकर लगता है
आप यहीं तो हो।
पर कहाँ हो आप वहीं,
अब वो कुर्सी वहाँ नहीं
जिसे पकड़ कर चलते थे आप
मैच अब उतनी शिद्दत से नहीं देखते हम।
आलू-मेथी, साग-मकई की रोटी
जब भी बनती है, ज़िक्र होता है आपका
मन की हूक मन में उठती है,
और मन में ही रह जाती है।
चिट्ठी भेज नहीं पाऊँगा मैं ये आप तक
पर आप पढ़ ज़रूर लेना।
आपका,
जो आप कहते थे, वही।