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प्यारा साथी

प्यारा साथी

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इंसानियत से विश्वास उठ गया तब

जब भी मुझे कुछ कहना होता है 

जब भी मैं अकेला महसूस करती हूँ 

जब भी तन्हाई काटने को दौड़ती है 

तब-तब मैं दौड़ी आती हूँ

मेरे प्यारे चिम्पू के पास..!


एक रिश्ता एैसा भी है मेरा 

इंसानों से लाख गुना बेहतरीन 

मुझे समझने वाला मेरा दोस्त,

ना मत कहो इसे जानवर 

मुझे अज़ीज़ है मेरे सामाजिक प्राणियों से

ज़्यादा तो क्या हुआ की ये बोल नहीं सकता। 


तो क्या हुआ की ये समझ नहीं सकता,

मैं महसूस करती हूँ इसकी भावनाएँ,

मैं महसूस करती हूँ उसका मुझे महसूस करना 

मेरे लफ़्ज़ों पर, मेरी हँसी पर,

मेरी दर्द की लकीरों पर प्रतिभाव देता है 

मुझे प्यार से देखता है, छूता है चूमता है..!


मैं अपना सब कुछ बाँट सकती हूँ

इस भोले मासूम दोस्त के साथ,

एक सुकून देता है दिल को 

दुनिया की भीड़ में अकेली थी मैं 

यहाँ नहीं है मुझसे किसीको कोई वास्ता 

भूला दिया था सबने मेरी ओर का रास्ता..! 


इंसान ने कभी इंसान के अहसास नहीं समझे

जिसे कहते है सब जानवर

वो इंसान से कई बेहतर

समझदार ओर भावनाशील है..!


इंसानों ने हंमेशा मुझे अनदेखा किया,

दर्द दिया, नज़रअंदाज़ किया

इस पगले ने मुझसे प्यार ही किया..!


मैं हँसती हूँ तो हँसता है,

मैं रोती हूँ तो रोता है,

मैं डाँटू तो खिलखिलाता है, रुठता है,

मानता है मेरी हर क्रिया को

समझने वाला मेरा प्यारा साथी..!

जानवर जैसे इंसानों के मुकाबले ज़्यादा समझदार है।


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