कभी हमारा भी जिक्र हो
कभी हमारा भी जिक्र हो
कभी हमारा भी जिक्र हो...
हमारी भी अलग पहचान हो
सब की जुंबा पर हमारा भी नाम हो
अपनी भी यही तमन्ना हैं।
नहीं बनना भीड़ का हिस्सा
अपनी अलग शख्सियत से पहचान हों
अपने परिवार का नाम रोशन करूं
बस यही ख्वाब हैं।
होंगी दीपिका, इंदिरा, कल्पना
उनकी होगी अपनी पहचान
अब मुझे लोग वर्षा के नाम से जाने
बस ऐसा कुछ कर गुजरना हैं।
कभी हमारा भी जिक्र हो...।