चरित्र
चरित्र
अंधकार को क्यों धिक्कारे
आओ मिल के दीप जलाएं।
कर्मो की उज्ज्वल ज्योति से
अपना जीवन पथ चमकाएं।
स्वार्थ साधना के युग में
देखो फैला है दुराचार।
निर्माणों के नवीन युग में,
हम चरित्र निर्माण कराएं।
बना चुके रंगीन चित्र हम,
क्यों न सुंदर चरित्र बनाएं।
अपने तन के मन मंदिर को
क्यों न हम भी पवित्र बनाएं।
समभाव से संगठित होकर
देश का महा चरित्र बनाएं।
अखंड अद्वितीय विनम्र होकर
चरित्र का गहन भाव लाएं।