Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Chandramohan Kisku

Others

3.4  

Chandramohan Kisku

Others

लौटा दो मुझे

लौटा दो मुझे

1 min
494


मुझे लौटा दो 

मिट्टी, धरती 

हरे जंगल - पहाड़ 

ठण्डे झरने 

कल- कल बहती नदी 

इसे लेकर ही जिन्दा रहूँगा


जहाँ तुम 

देश की विकास के नाम 

कल-कारखाने बनाये हो 

शहर-नगर बसाये हो 

बाँध और डैम तैयार किए हो 

इन सबसे 

मेरा पेट नहीं भर रहा


रुग्ण और बीमार आदमी में 

बदल गया हूँ 

बाजार - नगर में 

भिक्षाटन कर 

पेट भरने को बाध्य हो गया हूँ 

इसलिए कह रहा हूँ


ले जाओ अपने

ऊँची-ऊँची अट्टालिकाएँ

चौड़ी-चौड़ी सड़कें  

बड़े-बड़े कल - कारखाने 

मेरा घर, खेत - जमीन को 

निगाली

तुम्हारे बड़े -बड़े बाँध 


मैं पहले जैसा ही 

जंगल-पहाड़ के 

ऊँची-नीची मैदानों में 

पुआल की झोपड़ी बनाकर ही 

स्वाधीनता के साथ 

रहने दो...!!!


Rate this content
Log in