मोहतरमा मेरी जिंदगी में
मोहतरमा मेरी जिंदगी में
पहली बार
जब उससे
मुलाकात हुई,
नैन मिले,
बरसात हुई,
लगा ऐसा
जैसे कि खुद से
थोड़ी गुप्तगू
बात हुई,
दिल के दरवाज़े की कुण्डी को
कोई खटखटाया हो,
भागकर,
दौडकर
मैंने देखा
पाया
ये तो मैं ही हूँ,
फिर नज़रे उठाया
तो लगा की
कोई मोहतरमा ने
मेरी जिंदगी में
एन्ट्री मारा हो,
हर लम्हा
ऐसा लग रहा था,
जैसे अर्सों बाद
आया हो,
जी भरके देख लूँ ,
इस क्षण को
कुछ पल के लिए
रोक लूँ ,
पर मेरे बस में
नही था,
मेरी नज़रें एक
टकटकी लगाकर
सिर्फ मोहतरमा को ही
देख रही थी!