ठोकर
ठोकर
ठोकरों से सुबह हुई
ठोकरों में शाम है
ठोकरों की किस्मत में
बस लिखी हुई है ठोकरें
ठोकरों से मंज़िल बनी,
ठोकरों से ही नाम है
ठोकरों का इतिहास सुनहरा
ठोकरों में ही छाँव है।
ठोकरों से मेहनत सजी
ठोकरों से पछतावा है
ठोकरे ही तजुर्बा बनी
ठोकरों पर हर घाव है।
ठोकरों से इंसान बने
ठोकरों में मिलता है फिर
ठीकरों की यही दांस्ता
ठोकरों से तू संभालता है फिर।
ठोकरों से सुबह हुई
ठोकरों में शाम है
ठोकरों की किस्मत में
बस लिखी हुई है ठोकरें