अभिलाषा
अभिलाषा
जीवन की
अभिलाषा है
सुख समृद्ध हो
सभी का जीवन
सब करते
ऐसी आशा है ।
जीवन की
अभिलाषाओ
को पूरा नही
कोई कर पाता है ।
तेरे मेरे की मोह माया
मे यहीं भटकते रहता है ।
कर्म करो चाहे जितना भी
भाग्य साथ मे रहता है ।
लिख गया भाग्य मे
जो जिसके भी उसे
कोई बदल नही पाता है ।
एक किसान कितनी
मेहनत करता है ।
ठंड गर्मी बरसात हो।
कितना पसीना बहाता है ।
कभी सूखा और कभी
बाढ से अपनी फसल
बचा नही पाता है ।
बस देखता ही रह जाता है ।
ईश्वर की मर्जी के आगे
कुछ भी नही कर पाता है ।
सिर पर हाथ धर रोता है ।
लिखकर भाग्य मे लाया जो है
उसे बदल नही पाता है ।
अभिलाषा चाहे जो हो
मन मे पूरा नही कर पाता है ।
बस सबसे बड़ा विधाता है ।
यही सोचकर रह जाता है !