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सैया बड़े रंगीले

सैया बड़े रंगीले

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पान गिलोरी चबाकर थूँके

सैयां बड़े रंगीले 

छींटे उड़ाकर

चुनरी मोरी

रंग दी कोरी कोरी

नैन मेरे नखरीले।


कम ना 

कर दिया पलटवार

दिल टकराये 

गीरी बिजुरीया 

हल्ला बोल मच गई

बीच बजरिया।


हो गई रामा

बीन बादल बरसात 

सैयां जी मोरे छेड़ गये मोहे

कलाई पकड़े भरबाज़ार

कैसे रहे मोरा मन बेकाबू 

दिल गई मैं तो हार 

जाते जाते सैयाजी मोरे।


कर गये मुझ पर वार

आँख मार पुचकार किया 

रामा हर गये मोरे प्राण 

मैं नटखट सी कैसे सहती

पिया की अटखेखलियाँ।


रंग गुलाल उड़ा दिया उनके 

रंग गये गोरे गाल

सैयाँ जी मोरे बड़े कम्माल 

चुटकी भरी रंगों की दौड़े 

मोरे पीछे-पीछे।


हाथ मरोड़कर झट से भर दी

मेरी कोरी मांग 

नतमस्तक सी खड़ी रही मैं

हो गई मालामाल

खुद को किया समर्पित

मैं तो गई ये दिल हार।


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