मैंने देखा है माँ को
मैंने देखा है माँ को
मैंने कभी एक माँ के सभी बच्चों को
एकसा होते नहीं देखा
पर मैंने देखा है पूरी दुनिया की माँ को एकसा होते
विशालकाय वटवृक्ष की शीतल छाया सा
माँ की ममता का दिनों दिन सघन होना
पुराने वट से लटकी बाहरी जड़ों की मजबूती का होना
प्राय: मृत दिखना फिर रस्सी बन जाना
मैंनै देखा है माँ को ख़ुदको मारकर काम आना
माँ का गंगा बन जाना मैंने देखा है
गंगा सा पवित्र, निर्मल और मीठा होना
मैंने देखा है माँ को कल कल कर अनवरत् बहना
मैंने देखा है गंगा से छूकर पवन का सुखद होना
तिनका- तिनका जोड़कर नीड़ बनाना
अंडे से लेकर उड़ान भरने तक पोषना
अपनी साँसे दान कर देना
और अपने ही अंश से जीव बना देना
हाँ मैंने देखा है माँ को
मन के कोने में तम लेकर परिवार के लिए दीप जलाना
सभी की मंगल कामना के लिये आरती गाना
दूसरों की खुशी के लिये अपना दर्द छिपाना
कपूर सा बनकर अहं जलाना
हाँ मैंने देखा है माँ का मरना
पर अंतिम समय में भी हँसते रहना
हाँ मैंने देखा है हर किसी का माँ को याद करना
पर माँ सा न बन पाना
हाँ मैंने देखा है