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Sonias Diary

Drama

5.0  

Sonias Diary

Drama

सफ़र ज़िंदगी

सफ़र ज़िंदगी

1 min
205


सफ़र ज़िंदगी 

सीढ़ी दर सीढ़ी बढ़ती जाती है 

बच्चों सा जीवन 

बुढ़ापे सी परछाईं

ज़िंदगी की ये सीढ़ी

बस यूँ ही चढ़ती जाती है। 


बच्चे थे हम कोमल अपनी माँ के 

ना खौफ़ था ना डर था 

पड़ाव बड़ा जज़्बात बदले 

जिम्मेदारियाँ भी आ गयी। 


दिन बदले साल बदले 

परिवार भी तो बदल गए 

जिनको गोद में झुलाया था 

आज उनके हाथ का सहारा है। 


जिनको प्यार से सोनिया दुलारा था  

आज लाठी दे हमें 

उन्होंने दुत्कारा है 

ज़िंदगी का खेला है साहब, 


ये लाठी आज मेरे हाथ

ये सीढ़ी और किनारा

आज मेरे जिस्म का 

और कल ……..।।



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