मोम
मोम
मैं मोम की ही बनी हूँ,
टूटती नहीं पिघलती हूँ,
मैं मुस्कानो से ही सजी हूँ ,
रोती नहीं भीतर सुबकती हूँ ,
न जाने कितने रिश्तो में बंधी हूँ,
तोड़ती नहीं खुद ही टूटती हूँ,
हकीकत हूँ ,पहेली मैं नही हूँ ,
समझा न कोई सभी को समझती हूँ ,
मन है घायल फूलों सी खिली हूँ,
सहती हूँ हर दर्दो -ग़म रोती नहीं हूँ,