Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

एक छोटी सी भूल

एक छोटी सी भूल

2 mins
487


छापने वालों की गलती से क्या का क्या हो जाता है 

छोटी छोटी बातों का बतंगड़ बन जाता है 

पोस्ट ऑफिस वालों की एक घटना सुना रहा हूँ 

फ़साना किसी और का नहीं अपना सुना रहा हूँ।

 

मेरे एक मित्र टेलग्राम आया 

उसने मुझे उस्मान पे बुलाया 

टेलीग्राम वालों ने मुझे भ्रम में डाल दिया 

उस्मान घाट की जगह शमशान घाट छाप दिया।

 

मेरा सर चकराया राज कुछ समझ में न आया 

फिर ख्याल आया हमारा मित्र कुछ सनकी है 

क्यूंकि वो हास्य रस का कवि है। 


हमने उसकी बात पर विश्वास कर लिया 

और उसी क्षण शमशाम घाट की ओर कूच किया 

मुख्या द्वार से जैसे ही हमने प्रवेश लिया 

भूतों ने आकर हमें घेर लिया।

 

भूतों के देख हम पसीने से तर बतर हो गए 

और मौत के डर से बेहोश हो गए 

सुबह जब हमें होश आया 

घर पहुँचकर हमने मित्र को आराम करते पाया।

 

उन्हें देखकर क्रोध तो बहुत आया 

पर फिर मित्र ने सारा माजरा समझाया 

तबसे पोस्ट ऑफिस वालों से बहुत डरता हूँ 

उनसे कभी पाला न पड़े ऐसी विनय करता हूँ। 


एक और घटना सुनाता हूँ, 

एक नेता की आपबीती बताता हूँ 

एक कुंवारे नेता ने प्रेस वालों को सूचित किया 

भ्रस्टाचार समिति का सभापति है मुझे नियुक्त किया।

 

अख़बार वालों ने सभापति को शोभापति छाप दिया 

और अख़बार को उसके लिया अभिशाप बना दिया 

खबर को उसके होने वाले ससुर ने पढ़ा 

पढ़ते ही सभापति के घर की और बढ़ा।

 

उन्होंने लड़के के बाप को पुकारा 

उन्हें जमकर फटकारा 

अजी आपके लड़के ने तो हद कर दी 

यह कहकर उन्होंने शादी रद्द कर दी।

 

अकबर वालों ने अपनी गलती को तो


कुछ देर से सुधारा 

किन्तु उनकी मेहरबानियों की बदौलत

बेचारा शोभापति है आजतक कुंवारा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy