जाग रहे हो ना
जाग रहे हो ना
जाग रहे हो ना,
कि सोए हो,
मंज़िल और राह एक ही है,
न जाने तुम किस चाह में खोए हो !
बैठे बैठे जग की तकलीफें निहार रहे,
अपनी खुशियों की पोटली को,
किस नदी में भिगोए हो !
जाग रहे हो ना,
कि सोए हो !
तुम्हें लोगों से आस है,
मंज़िल की तलाश है,
भीगना तो है पर,
बारिश की प्यास है !
कितने ऐसे ख्वाबों की,
चादर पिरोए हो,
जाग रहे हो ना,
कि सोए हो !
जाने किसका इंतज़ार है,
किस अजनबी की तलाश है,
खुद से प्यार करने की,
कितनी दूरी तय किए हो !
जाग रहे हो ना,
कि सोए हो !
गर दिल की सुन लो,
मन हताश है,
गर मन जीता,
दिल उदास है !
कभी खाली बैठे,
दोनों से मशवरा किए हो !
जाग रहे हो ना,
कि सोए हो !