मेरे दो अनमोल रतन
मेरे दो अनमोल रतन
मेरे दो अनमोल रतन
एक हो बेटा एक हो बेटी
भेद भाव न इनमे करना
घर मे रहेगा चैन अमन ।।
छोटा हो परिवार हमारा
हम है दो हमारे दो हो
एक हो बेटा एक बेटी हो
घर मै अमन चैन हमारा ।
जीवन हो खुशहाल हमारा
सब मिलकर साथ मे रहना ।
सुखमय जीवन तभी चलेगा
बेटा बेटी मे भेद न करना ।
बेटी माँ का हाथ बटाती
माँ से ही सब काम सीखती ।
माँ की शिक्षा काम है आती
अपने जब ससुराल मे जाती ।
माता पिता की शिक्षा पाकर
वही शिक्षा ससुराल मे जाकर ।
पति सास ससुर ननद और देवर
यही सदस्य है उसका घर ।
बेटे की जब शादी होती
पत्नी साथ मे उसके आती ।
माता पिता की वो बेटी है
बहू बनकर ससुराल मे आती ।
नर नारी से सृष्टी चलती
नर नारी की शादी होती ।
एक घर का बेटा होता
दूसरे घर की बेटी होती ।
दीपक वाती साथ मे होते
तभी तो रोशन घर को करते ।
यही तो दो अनमोल रतन है
मिलकर करते घर रोशन है ।
बेटा बेटी मे भेद न करना
सब मिलकर आपस मे रहना ।
भेदभाव न उससे करना
बहू को भी बेटी ही समझना ।
यही तो दो अनमोल रतन है
बेटा बेटी है भाई बहिन है ।