कड़वा सच
कड़वा सच
अगर पत्थर मे जान होती।
तो चारो ओर सिर्फ चीखें सुनाई देती।
अगर नदियों मे जान होती।
तो उसके आँसुओं मे सारी दुनिया बैठी होती।
अगर हवा हमें दिखा करते।
तो उसे किसी के शरीर मे जगह ना मिलतीं।
अगर मंदिर मे भगवान होते।
तो वह किसी के घर के चार दिवारी पर ना लटकते।