माघ का कुंभ
माघ का कुंभ
गुड़ घी का हवन, गंगा स्नान
तिल का होता है खान-पान !
बसंत आगमन, पल्लव हर्षाये
पूरी दुनिया पीत हो जाये !
तिल-तिल बाढ़ै धूप रोज,
बढ़ता जाये सूरज का ओज !
सूर्य जब मकर में आये,
लागे पूरा जग मुस्काये !
अर्ध कुंभ का लगा बाजार,
साधु-संतन की लगी बहार !
माघ महीने की देखो शान,
भारत की है यही पहचान !