ऐतबार
ऐतबार
इक मुलाक़ात में कहाँ किसी पर ऐतबार होता है,
पहली नज़र में तो सिर्फ़ सूरत1 से प्यार होता है।
वही ज़िन्दगी भर ख़ूबसूरत लगता निगाहों को,
जिसके पास सीरत का खज़ाना बेशुमार2 होता है।
इश्क़ आशियाने में सब जाना चाहते इक बार,
हर नज़र को अपने महबूब का इंतेज़ार होता है।
इस सज़ा में भी मज़ा आने लगता मुज़रिम को,
जब उसका दिल इश्क़ के हाथों गिरफ़्तार होता है।
तनहाई की भरपाई करने में बहुत वक़्त लगता,
जब किसी आशिक़ के इज़हार पर इंकार होता है।
कभी तस्वीरों से बातें कभी ख्वाबों में मुलाकातें,
यार की याद में बिताया लम्हा-२ यादगार होता है।
कभी-२ इक तरफ़ा अपना सब कुछ हार जाता,
नफ़े-नुकसान से परे इश्क़ का कारोबार होता है।
ख़ुदा ने क्या फ़ितरत बनाई इश्क-ऐ-सफ़र की,
शफ़ा3 कभी-२ मिलती पर दर्द बार-बार होता है।
इश्क़ तदबीर4 करके नहीं किया जाता अशीश,
कभी-२ तो होकर भी ज़ुबान पर इंकार होता है।
1.qualities 2.countless 3.relief 4.Planning