सपनों का देश
सपनों का देश
जहां गर्व हमें इस देश के
इतिहास के हर पन्नों पर था
लोक गीत कथाओं में हर-पल
वीरों की गाथा का ही वर्णन था
दुश्मन की आहट होती थी और
हम देश पर मर -मिट जाते थे
जो बढ़ते थे हाथ नारी की ओर
महाभारत तक हो जाते थे
जहां मात-पिता की आज्ञा मान
राज- पाट तक त्यागे जाते थे
गुरुओं के एक आदेश पर
अँगूठे बेहिचक काटे जाते थे
जहां बुद्ध की मीठी वाणी सुन
दानव संन्यासी हो जाते थे
मीरा की भक्ति से मोहित
भगवान ज़मीन पर आते थे
गाँधी और भगत सिंह जैसे
महापुरुषों की ये भूमि थी
पर लगता नहीं है आज किसी को
इस देश की कुछ भी पड़ी हुई
यक़ीन नहीं होता है कि यह
सपनों का वही भारत है
जहाँ तिरंगे की आन बचाने को
खून की है नदियाँ बही
काश की उन गुजरे लम्हों से
सीख ले करनी इज़्ज़त वतन की
कहलाये ये फिर सोने की चिड़िया
ना जगह कभी हो छल -कपट की
ना जगह कभी हो छल -कपट की।