हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
हिन्दी है मातृभाषा हमारी
जन –जन के प्राणों की प्यारी।
सुदृढ़ , सुगम और सरल
जैसे निर्झरणी शीतल।
संग अन्य भाषाओं को ले
चलती है जीवन पथ पर।
एक बहन जो रूठी रहती
उसको रहता बहुत गुमान।
उस गुमान के कारण ही
होता निज़ भाषा का अपमान।
अँग्रेजी में ही जब करते सब काम
तब क्यों दिया राष्ट्र- भाषा का नाम।
करते जब तुम नित्य अपमान
किसी एक दिन क्यों करते सम्मान।
यदि देश की उन्नति का हो मन
तो करो राष्ट्र-भाषा उत्थान।
निज़ भाषा जिस देश में न हो
उसका होता नहीं विश्व में मान।