ये कहाँ आ गये
ये कहाँ आ गये
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समय के चलते चलते
हालात बदलते बदलते
ये कहाँ आ गये हम
शाम यूँ ढलते ढलते
गई कुछ कहते कहते
छा गये कहाँ से इतने गम
वक़्त कल अजीब था
माना कि तू गरीब था
पर ख़ुशियाँ न थी तेरे कम
वक़्त जो छूट गया
कोई क्यूँ रूठ गया
हो गई क्यूँ आँखें आज नम
समय के चलते चलते
हालात बदलते बदलते
ये कहाँ आ गये हम
जगदीश पांडेय " दीश