चलो पुराने शहर चले हम ...
चलो पुराने शहर चले हम ...
चलो पुराने शहर चले हम,
यादों के गलियारों से,
खुशबू जैसी यादो से और,
पत्थर की दीवारो से।
कहता होगा किस्सा कोई,
अब भी अपनी यारी के,
मिल कर कोई खुश तो होगा,
भूले बिछड़े यारो सेचलो पुराने शहर चलें हम।
किस्सा कोई छेड़ेंगे फिर,
नदी किनारे साँझ ढले,
फिर से दिन को रात करेंगे।
बरगद के उस पेड़ तले,
इस से पहले की वो गलिया,
हमको कुछ कुछ भूल चले।
इस से पहले की पैरों की,
आदत कुछ कुछ छूट चले,
चलो पुराने शहर चलें हम।
कोई बच्चा हँसता होगा,
उन झूलों पे खेल अभी,
कोई टोली बैठी होगी,
उन पेड़ो के छावं तले।
गली मोहल्ले बाज़ारो से,
होकर फिर से घूम चलें,
कोई बाहें थामेगा और,
घंटो फिर से बात चले
चलो पुराने शहर चलें हम
फिर से अम्मा मोहल्ले की
ढेरो हमको प्यार करे,
फिर से चाचा कोई हमसे
हुशियारी की बात कहें।
अबकी सावन आये तो फिर,
भीगें फिर से यार चलें,
थोड़ा कुछ जो बच रखा है,
पूरा कर लें खेल चलें,
चलो पुराने शहर चलें हम।