बारिश में भीगता बचपन
बारिश में भीगता बचपन
बारिश झूम झूम कर बरस रही है,
बच्चे झूम झूम के बारिश में,
भीग कर खुशियाँ मना रहे हैं।
उन मकानो में, जिनके छत से भी,
बारिश की बूंदे जम कर गिर रही है,
वहाँ बच्चे अपने बचपन को,
भीगते हुए देख रहे हैं।
बारिश जम कर बरस रही है,
नदी, नाले और तालाबों में पानी,
उछल उछल कर बह रही है,
जैसे पिंजरे से मुक्त विहंगम।
बच्चे कागज के नाव बहा रहे हैं,
और कुछ मासूम बच्चे,
कागज के पुलिंदो में,
कचरे के ढेरों में,
अपने बचपन को ढूंढ रहे हैं।
बारिश के रिम झिम सुर,
बारिश की ये सुहानी सी मौसम,
किसी के दिल को लुभा रही है,
और कहीं भोली सी बचपन,
अपनी जिन्दगी की खुशियाँ,
बटोरते बटोरते कहीं खो गयी है।