रिश्ता
रिश्ता
ये कैसा रिश्ता है
ये कैसे नाते हैं
जो इक डोर से
हमें बांधे है।
ये कैसे बंधन हैं
ये कैसे धागे हैं
जो इक साथ में
हमें पिरोये हैं।
ये कैसे जज्बात हैं
ये कैसे एहसास हैं
जो इक साथ में
दिल में पनपते हैं।
ये कैसी आवाज है
ये कैसे गीत है
जो एक गुनगुनाये
तो दूजा गाये हैं।