वापसी
वापसी
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मॉ आज जब मैं जाउंगा
खामोश अलविदा कह जाऊंगा तेरी नेक रुह को
लग जाए मेरी उम्र की नजर
अफसोस ना करना मैं वापिस ना आऊंगा
जश्नो से किया तुमने मुखातिब माँ
"आँंसुंओ से नहीं अपने नूरे नजर को जलसो से
कर खुदा हाफिज दिल में ये मलाल लेके जाऊंगा
तेरे करज कभी ना उतार पाऊंगा
माफ कर देना मुझे अब मैं वापिस ना आऊंगा
यूं तो ताबूत में अकेले लगता है डर
मैं रोया बहुत सहम सहम कर
तेरा महफूज आंचल समझ सो गया आँखें मूँद कर
तेरे अक्स से रौशन मेरी रूह आज दिल से कर दे मुझे रुखसत मॉ
अफसोस नहीं मुझपे फकर कर
उस खुदा को है मेरी जरूरत कि मैं अब वापिस ना आऊंगा
माँ तू सबर कर।