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S Ram Verma

Inspirational

4.7  

S Ram Verma

Inspirational

पल दो पल की बात है !

पल दो पल की बात है !

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बस पल दो पल की बात है, 

फिर क्यों उदास होते हो तुम;

बे-सबब क्यों परेशां होते हो तुम; 


बोलो तुम्हे किस बात का गम है,

क्यों ऐसे उदास रहते हो तुम; 


देखो इन नज़ारों को मस्त झरनों को, 

नदियों और पहाड़ों को

सूरज चाँद और सितारों को; 


गलियों को रौनक भरे बाज़ारों को, 

शायद तुम अब बहल जा ओ; 


सोचो जब आये थे तुम, 

इस तरह रो रहे थे तुम; 


जैसे किसी ने तुम्हारे हाथों से, 

सुन्दर खिलौना छीन लिया हो; 


फिर जो कुछ पाया यहीं से पाया, 

जो कुछ दिया यहीं पर तो दिया; 


बस पल दो पल की बात है, 

फिर क्यों उदास होते हो तुम; 

बे-सबब क्यों परेशाँ होते हो तुम ! 


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