कलीरे
कलीरे
नैना,
अलहड़पन करती तुझे देख हर नज़ारे में,
तू समझ लेना मेरे दिल की बात हर इशारे में
बिठाये है काजल की पहरेदारी
मदहोश बन बैठी है पलकें
नशीली बिन शराब के
खिलखिला रही है तेरे नाम से ही,
कलीरे !!
बिंदिया,
माथे पर बैठा गुपचुप ही मुस्कुराये
मेरे अंदर उठी लहरों को बेख़ौफ़ ही सहलाये,
सुर्ख लाल रंगो में
मचल रही बिन शबाब के
खूब दमक रही है तेरे नाम से ही,
कलीरे !!
होंठ,
तुझे सोच सोच कर मन ही मन इतराये
जाने कौन कौन से पल को समेट, खुद में ही खुड़बुड़ाये,
बेताब बताने को बहुत सी बातें मन की
ग़ुलाबी बन बैठी बिन गुलाब के
शर्मा, सिलवटों में छिप रही है तेरे नाम से ही,
कलीरे !!
झुमके,
मदहोश न कर दे तो बताना पिया
बिन घुँघरू ही छनक रही तेरे लिए पिया
बहकेगी तेरे ही संग में
संग तेरे ही बहे जा रही है दिल के बहाब में
झनक, रही है तेरे नाम से ही,
कलीरे !!
चूड़ियां
रंगों से भरी शाम को
सजाया अपने हाथों में तेरे नाम से
बावली ना हो जाये
तेरे इंतजार में
खिली बैठी है तेरे दीदार में
खनक रही है, तेरे नाम से ही,
कलीरे !!
सोलह शृंगार कर बैठी अब हूँ पिया !!
अब आ जा महकाने मेरे घर आंगन को पिया !!