तुम
तुम
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कभी देखता हूँ जब तुम्हें,
सोचता हूँ केवल तुम्हें |
लरजते होठों की खामोशियाँ,
तुम्हें गुनगुनाती हैं,
तन्हा दिल की गहराइयाँ,
तुम्हें बुलाती हैं |
कभी तुम हो जाती हो गुम,
बहुत ढूंढ़ता हूँ मैं तुम्हें,
और हो जाता हूँ गुम,
यादों के वीराने मैं |
वक़्त गुजरता है,
मौसम बदलते हैं,
पर तुम वहीं हो,
मेरी यादों में,
गुलाब की पंखुड़ी-सी,
एक खिलती कली-सी |
अब भी तुम्हें तकता हूँ,
अधखिला चाँद नज़र आता है,
अनछुआ जाम नज़र आता है,
मदहोशियों के आलम में,
तुम्हारा सपना मुझे जगाता है |
तुम्हारी यादों में जागता हूँ,
तुम्हारे सपनों में सोता हूँ,
अब तो हर तरफ़, हर और,
तुम्हारा चेहरा नज़र आता है |