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Poonam Matia

Drama

5.0  

Poonam Matia

Drama

ग़ज़ल

ग़ज़ल

1 min
14.2K


जीवन में जब प्यार न हो

तो शब्दों में फिर कैसे आए

दिल में नफ़रत घर कर ले

तो प्रेम के नगमें कौन सुनाए

सावन-भादों, मधु-ऋतु, पतझड़

सारे मौसम आते-जाते

बैठी व्याकुल सोच रही मैं

प्रेम का मौसम कब तक आए !


तन्हा-तन्हा रातें अपनी

मीठी-मीठी बातें उनकी

क्या जाने हम सोच के अपनी

आँखों में आँसू भर लाए !


जाने कितने युग में पाई थी जो इज्ज़त ग़र्क़ हुई

घर के झगड़ों को दो भाई

बाज़ारों में क्यूँकर लाए !


मुद्दत बाद मिले जब उनसे

मौसम मस्त, फ़िज़ा थी दिलकश

उसने भी ग़ज़लें कह डालीं

हमने भी कुछ शेर सुनाए !


बेटा परियाँ खाना देंगी

तुम जल्दी से सो जाओ बस

मुफ़्लिस माँ ने ऐसा कह कर

बच्चों को कुछ ख़्वाब दिखाए !


महफ़िल में तन्हा थी वो भी

गुमसुम गुमसुम, खोई-खोई उसकी एक झलक ने

'पूनम', जाने कितने दिल धड़काए !








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