सुन्न
सुन्न
सुन्न हूं मैं
क्या तुम भी उधर सुन्न हो ?
मैं खोयी रहती हूं
तुम्हारी ही यादों में।
क्या तुम को भी
कभी मेरी यादें
तड़पाती हैं ?
मैं सिर्फ तुमको
चाहती हूं
क्या तुमने भी
मुझे कभी चाहा था ?
मैं चांद में हर रात
तुम्हें देखती हूं
क्या तुम्हें भी
चांदनी में
मैं दिखती हूं ?
वो हसीं मुलाकातें नहीं रही
बिखर गया सब कुछ
मोतियों की तरह
एक-एक मोती
फिर से पिरोऊं कैसे ?