Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Mani Aggarwal

Others

5.0  

Mani Aggarwal

Others

सुनो कृष्णा

सुनो कृष्णा

1 min
275


अवतरो! फिर से कन्हैया पीर धरती की हरो,

मिट रहीं हैं इस धरा से प्रेम-पूरित भावनाएँ।

लोभ का अधिकार इतना मानवों पर हो रहा,

हित स्वयं का सोच पहले बाद देते हैं दुआएँ।।


हर चौराहे पर बँधी है पाप की मटकी जगत में,

मिल रहीं दिन-रात प्रायः बेगुनाहों को सजाएँ।

नेह के प्रतिमान बदले भोग के सामान बदले,

हैं प्रदूषित आज देखो थीं कभी महकी हवाएँ।।


बिन तुम्हारे कौन हरि! उद्धार जग का कर सके?

बह रहीं है आँसुओं में अंतस सुलगती वेदनाएँ।

तुम सखा, तुम ही सहारे आस तुमको ही पुकारे,

तुम नहीं तो कौन गिरिधर समझे सच्ची भावनाएँ?


आओ पालनहार हो तुम, प्रेम का आधार हो तुम,

हो अनुग्रह साँवरे आ जाओ हृदय में बिठाएँ।

जो तुम्हें भाएँ बना दें अपने हाथों से खिला दें,

कर लो अब स्वीकार कृष्णा ये जगतहित कामनाएँ।


Rate this content
Log in