अपना आज
अपना आज
सूर्य जैसा शौर्य
सीता जैसा धैर्य
परिंदों सी उड़ान
पूरे हुए अरमान।
लफ्जों में निखार
अनूठा है अंदाज़
ग्लानि मुक्त भाव
सुकून की छांव।
रस्मों का रिवाज
अपनों का लिहाज
यादों की खनखन
किसी से नहीं अनबन।
दुखों का अभाव
सत्कर्मों का प्रभाव
सत्य का समर्पण
धैर्य का अर्पण।
है यही राज
इसीलिए जी रहे हैं
अपना आज।