ढूँढ लो खुद को.
ढूँढ लो खुद को.
मुहब्बत के किसी प्यारे से पल में ढूँढ लो खुद को...
कभी मेरी ग़ज़ल पढ़ लो ग़ज़ल में ढूँढ लो खुद को।
मेरी आँखों के आँसू भी किसी गंगा की धारा हैं..
लहर में तुम भी रहती हो तो जल में ढूँढ लो खुद को।
जो मुश्किल आ पड़े तुम पर उसे हल मैने करना है...
करूँ मैं कुछ भी हल जब जब तो हल में ढूँढ लो खुद को।
किसी की झोंपड़ी में अब बसेरा आप का होगा...
नही मुमकिन ये लगता है महल में ढूँढ लो खुद को।
हो बरसों से अगर खोई ,भटकना लाज़मी भी है?
मेरे दिल में अगर आओ तो पल में ढूँढ लो खुद को।
भला खारों में दुनिया के तुम्हारा क्यों बसेरा हो....
किसी मासूम के रूह-ए-कंवल में ढूँढ लो खुद को।