चुन्नू टेपे मुन्नू टेपे
चुन्नू टेपे मुन्नू टेपे
चुन्नू टेपे, मुन्नू टेपे,तो फिर पुन्नू क्यों न टेपे ।
भई टेपा टेेपी का है जमाना...
धन्नू अकेेला कब तक झेेपे ।।
इधर नकल, उधर नकल
फिर क्योंं लगाएं अपनी अकल ।
भई नम्बर तो टेप कर ही आऐंगे,
फिर काहे बिगाड़ें अपनी शकल ।।
नज़र घुमाके, मुण्डी उचकाके
टून्नू भी कॉपी पर चेंंपे...
चुन्नू टेपे, मुन्नू टेपे, तो फिर पुन्नू क्योंं न टेपे।
भई टेपा टेेपी का है जमाना...
धन्नू अकेेला कब तक झेेंपे ।।
कन्नू पूछे क्या लिख रहा भाई?
मन्नू बोले जो दिया दिखाई
प्रश्न कौन सा, जिसका उत्तर है?
अपना काम केवल छपाई ।।
काहे टेंंशन करता प्यारे ,
जो दर्शन है आ उसी को लेपें
चुन्नू टेपे,मुन्नू टेपे, तो फिर पुन्नू क्यों न टेपे ।
भई टेपा टेपी का है जमाना...
धन्नू अकेला कब तक झेेंपे ।।
इशारों इशारों मेें क्या नज़ारा,
ऐसे तन्नू का हो रहा गुज़रा ।
वन टू का फोर, फोर टू का वन,
हो गया ऑबजेक्टिव सेक्शन सारा ।।
एक थी पर्ची क्लास में ,
एक हाथ से दूूजे में खेपे...
चुन्नू टेपे,मुन्नू टेपे, तो फिर पुन्नू क्यों न टेपे ।
भई टेपा टेपी का है जमाना...
धन्नू अकेेला कब तक झेेंपे ।।