मैं उसका आशिक़ था
मैं उसका आशिक़ था
सपना, सच, हकीकत
या कोई
कहानी थी,
मैं उसका आशिक़ था
जो किसी और की
दीवानी थी,
खुशबू वो रूहानी थी
या मौजों की
रवानी थी,
मेरे दिल के
दरिया की भीगती-सी
निशानी थी,
मैं उसका आशिक़ था
जो किसी और की
दीवानी थी!
सर्दी की शाम
मदहोशी के जाम
मदमस्त फिगर
बलखाती कमर
सुर्ख होंठ
करे दिल पे चोट
जलती हुई
जवानी थी,
मैं उसका आशिक़ था
जो किसी और की
दीवानी थी!