शब्द औऱ मौन
शब्द औऱ मौन
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शब्द तो शोर है, तमाशा है,
मौन ही मेरी भावना, मेरी भाषा है।
नारदजी का शब्द देखो स्वर्ग में हाहाकार है,
शिवजी का मौन देखो कैलाश में जयकार है ।
द्रौपदी का शब्द देखो महाभारत रणवास है
दशरथ का मौन देखो राम का वनवास है।
शब्द दीन का काम है ,तो मौन रात का आराम है
शब्द से जीवन अगर तो ,मौन बैकु़ंठधाम है।
शब्द से इज़हार है तो , मौन मेरा इकरार है
शब्द से है प्रेम अगर तो , मौन भी तो प्यार है।
शब्द औऱ मौन के इस खेल में, किसकी जीत किसकी हार है
शब्द बदलते रहते है ,पर मौन सदा बहार है ।