दीदार
दीदार
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परेशान सा रहता हूँ,
अपने चाँद के
दीदार के लिए...
मेरी मुस्तकबिल में
लिखा ही नहीं
खुदा ने,
दो पल प्यार
के लिए....
अमावस की रात
कब कटेगी,
चाँद की रौशनी
की खुशबू,
कब पड़ेगी
मेरे बदन पर....
मुझे कुछ पल
दे दे,
ऐ मेरे मौला
इंतजार के लिए..
परेशान सा रहता हूँ ,
अपने चाँद के
दीदार के लिए... !