नज़र आई
नज़र आई
मुझे वो कल नज़र आई,
ना जाने क्यों इधर आई ।
जिधर नज़रें गई मेरी,
तमन्ना दिल नज़र आई ।
मेरी दुनिया बसाकर वो,
सितम दिल पर मेरे ढाई ।
करूँ बातें कभी उनसे,
गिला दिल ले के वो आई ।
मुझे मंज़िल दिखाकर वो,
कभी मिलने सनम आई ।
हुकूमत दिल पे था उसका,
रियासत दिल वही पाई ।
मुझे उसने कहा अपना,
वफा दिल में वही लाई ।