हाँँ मैं अब बहू हूँ
हाँँ मैं अब बहू हूँ
मुझे पैदा नही किया गया
हो गयी हूँ ,इस उम्मीद में कि लड़का होगा,
पता करते है कि माँ के पेट में
लड़की है या लड़का,
वो भी पैसे देकर।
मेरी माँ चिंता करती थी
दादी चिंता करती थी
कहीं लड़की ना हो जाये,
और जब मै पैदा हुई तो कोई स्वागत नही,
कोई गीत नही
कोई उल्लास नही
वो कोई और नही मेरी माँ थी
जिसने कीमत दी डॉक्टर को
मुझे मारने की
मगर मैं पैदा हुई एक मर्द के इरादे पर
जो कोई और नही ,
मेरा बाप था,
इसीलिये लड़की पापा की परी होती है
और माँ की,दादी की मज़बूरी
मुझे पाला गया इसलिये कि जमाना क्या कहेगा
मुझे पढाया गया क्योकि
दुनिया क्या कहेगी
मुझे पुचकारा गया क्योकि
कहीं कोई ये न कह दे कि प्यार नही है बेटी से,
मुझे अपनाया गया एक औरत के द्वारा
जो मेरी सास थी
मुझे बहन बनाया किसने
जो मेरे जेठ थे
मुझे सहारा दिया उसने जो मेरा पति था,
मैने क्या किया
एक जेठ की डाँट को शोषण करार दिया
मैने क्या किया सास की सीख को ताने का नाम दिया,
मैने क्या किया
एक पति के थप्पड़ को घरेलू हिंसा बता दिया
मैने क्या किया,
दहेज का इल्ज़ाम लगा दिया
अपने पति पर
अपनी सास पर
सभी पर
तो एक इल्ज़ाम आज अपनी माँ पर लगा दूं
जो नही चाहती थी कि मै पैदा होऊँ
इल्ज़ाम लगाती हूँ अपने भाई पर
जिसके पास वक्त नही है एक फोन करने का,
इल्ज़ाम लगाती हूँ उस समाज पर
जिसने पाबंदी लगा दी
उत्सव की ,
मेरे पैदा होने पर,
सास ने मुझे परेशान ही तो किया है
क्या हुआ?
माँ ने मारने की कीमत तक दी थी डॉक्टर को ,
क्या हुआ पति ने एक थप्पड़ लगा दिया
क्या भाई नही मार सकता
क्या हुआ
सास ने ताना मार दिया
क्या माँ ने नही डाँटा कभी,
दहेज लेकर मुझे जीने तो दे रहे है
उनसे तो अच्छा है जो रिश्वत दे रहे है,
मुझे मारने के लिये,
एक सवाल करती हूँ
अगर मैं लाडली हूँ पिता की
मैं परी हूँ माँ की ,
शहजादी हूँ भाईयों की ,
तो मेरी क्यो गिनती कम हो रही है
क्यों मैं पड़ी रहती हूँ,
डॉक्टर की वाशबेसिन में
क्यों दबा दी जाती हूँ
मिट्टी के नीचे,
क्यों फैंक दी जाती हूँ
नालियों में
जो मेरे भाई
मेरी माँ
मेरे मायके वाले मेरे साथ है
मेरे पति ,मेरी बूढी सास को
जेल में बदं करने लिये,
वे तब कहां जब मुझे पेट में ही मार रहे थे
किसने आवाज़ उठाई थी
मुझे जिंदा रखने के लिये,
हाँ मैं बेटी हूँ
अपनी सास की
हाँ मैं जिन्दगी हूँ
अपने पति की,
क्या हुआ जो थोडा़ परेशान हूँ
दुखी तो नही हूँ
क्या हुआ थोड़ा कम बोलती हूँ मगर दबी हुई तो नही
माँ ने कब पूँछा था
बाप ने कब पूँछा था
भाई ने कब पूँछा था
कि तुझे ये पसंद है
जिसके साथ जिन्दगी गुजारनी है
हाँ मैं अब बहू हूँ
मुझे नही बनना बेटी
मुझे बनना है एक बहू
मुझे मायका बनाना है
अपनी ससुराल को
हाँ मैं अब बहू हूँ
हाँ मैं अब बहू हूँ...।