Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

ना कोई मंजिल है.....

ना कोई मंजिल है.....

1 min
6.9K



ना कोई मंजिल है, ना कोई पता

बस एक चाहत है, दिल में लिये हुए।


ना कोई गिला शिकवा, ना कोई खता

आरजू है उसे पाने की, क्या यही प्यार है ?


मोहब्बत क्या होती है ? दिल से पूछो यारो

वह मिलेगी अरमान है, राहत है, सुकून है।


एक दिन वह मिलेगी जरूर दिल कहता है

आरजू है उसे पाने की, क्या यही प्यार है ?


पास न होते हुए भी, आहट उन के आने की

बेसुमार मोहब्बत है, उन्हें पता हैं भी कि नहीं ?


बस धुंधली सी आशा है, उनसे मिलने की

आरजू हैं उसे पाने की, क्या यही प्यार है ?


कैसे समझाऊँ उसे ?

जाने वाले कभी लौट के नहीं आते


पंछी घौसला तो बनाते हैं मगर,

बेमौसम बदल जाते हैं !


गुजरा हुआ पल फिर से नहीं आता

टूट हुआ दिल नहीं लुभाता क्या करें

पगला दिल हैं कि मानता ही नहीं !


इंतजार-इंतजार सिर्फ इंतजार, यह कैसा ?

कब, कैसे मिलेंगे ? किस मोड़ पर कौनसे !


हो सकता है, मिलेंगे भी नहीं हम फिर से

क्या करें ? पागल दिल हैं कि मानता ही नहीं !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama